25 November 2020 –
कालिदास ने अपनी दूरदर्शी सोच और कल्याणकारी विचारों को अपनी रचनाओं में उतारा। कालिदास एक महान कवि और नाटककार ही नहीं बल्कि वे संस्कृत भाषा के विद्वान भी थे। वे भारत के श्रेष्ठ कवियों में से एक थे। उन्होनें भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार मानकर सुंदर, सरल और अलंकार युक्त भाषा में अपनी रचनाएं की और अपनी रचनाओं के माध्यम से भारत को एक नई दिशा देने की कोशिश की। कालिदास जी साहित्य में अभी तक हुए महान कवियों में अद्धितीय थे। उनके साहित्यिक ज्ञान का कोई वर्णन नहीं किया जा सकता। कालिदास की उपमाएं बेमिसाल हैं और उनके ऋतु वर्णन अद्वितीय हैं। मानो कि संगीत कालिदास जी के साहित्य के मुख्य अंग है इसके साथ ही उन्होनें अपने साहित्य में रस का इस तरह सृजन किया है जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। श्रुंगार रस को उन्होनें अपनी कृतियों में इस तरह डाला है मानो कि पाठकों में भाव अपने आप जागृत हो जाएं। इसके साथ ही विलक्षण प्रतिभा से निखर महान कवि कालिदास जी के साहित्य की खास बात ये है कि उन्होनें साहित्यिक सौन्दर्य के साथ-साथ आदर्शवादी परंपरा और नैतिक मूल्यों का समुचित ध्यान रखा है। माना जाता है कि कालीदास मां काली के परम उपासक थे। अर्थात कालिदास जी के नाम का अर्थ है ‘काली की सेवा करने वाला’। कालिदास अपनी कृतियों के माध्यम से हर किसी को अपनी तरफ आर्कषित कर लेते थे। एक बार जिसको उनकी रचनाओं की आदत लग जाती बस वो उनकी लिखी गई्ं कृतियों में ही लीन हो जाता था। ठीक वैसे ही जैसे उनको कोई एक बार देख लेता था बस देखता ही रहता था क्योंकि वे अत्यंत मनमोहक थे इसके साथ ही वे राजा विक्रमादित्य के दरबार में 9 रत्नों में से एक थे।
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