14 सितंबर – 2020
जिस प्रकार श्रृंगार में खूबसूरत है बिंदी,वैसे ही भाषाओं में खूबसूरत है हिंदी।।
भारत एक विशाल देश है । प्राचीनकाल से यहाँ धर्म, भाषा तथा संस्कृति में विविधता होने के बावजूद भारतवासी परस्पर मिल-जुलकर रह रहे हैं । भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं, परन्तु वर्तमान भारतीय संविधान में 19 प्रादेशिक भाषाओं को भारतीय भाषा के रूप में मान्यता मिली है ।इन भाषाओं में हिन्दी भारतवर्ष में सबसे अधिक बोली जाने वाली भारतीय भाषा है । भारत के स्वतंत्र होने के पश्चात् सन् 1949 में, 14 सितम्बर के दिन, भारतीय संविधान में देवनागरी लिपि में लिखित हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकृति मिली है । इसी उपलक्ष्य में हर साल 14 सितम्बर हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है ।पूरे भारतवर्ष में हिन्दी सर्वाधिक बोली जाती है । इसे देश की 80 प्रतिशत जनता समझ सकती है अथवा अपने विचार प्रकट कर सकती है । हिन्दी भाषा सहज सरल है । इसे संस्कृत की भगिनी भी कहते हैं । हिन्दी भाषा में अनेक प्रादेशिक भाषाओं के शब्दों का प्रयोग भी देखा जाता है । उर्दू, असमीया, पंजाबी, गुजराती, उड़िया, राजस्थानी आदि कई भाषाओं के शब्द मिलते हैं, जिससे सभी भारतवासियों के लिए हिन्दी सहज एवं सुबोध भाषा के रूप में प्रतीत होती है ।भारत जब अंग्रेजों के अधीन था, तब भी महामानव महात्मा गाँधी जैसे महान नेता ने देश की अपनी एक राष्ट्रभाषा होने की जरूरत को बड़ी गहनता से महसूस किया था । उन्होंने आजादी के साथ-साथ राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार व प्रसार पर भी बल दिया। उन्होंने कहा है- ”राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा होता है ।”प्रत्येक राष्ट्र की अपनी राष्ट्रभाषा होती है । राष्ट्रभाषा के जरिए राष्ट्र की एकता, सौहार्द, भाइचारे जैसे नागरिक-कर्तव्यों का विकास होता है । इन सभी बातों पर ध्यान देते हुए भारतीय संविधान सभा ने हिन्दी भाषा को देश की राजभाषा के रूप में संवैधानिक मर्यादा प्रदान की है ।स्वतंत्र भारत की हिन्दी राजभाषा है । महात्मा गाँधी, डॉ.राजेंद्र प्रसाद, काकासाहब कालेलकर जैसे महान व्यक्तियों के अथक परिश्रम के बाद ही वर्तमान हिन्दी को यह सम्मान मिला है । आजकल हिन्दी दिवस केवल दिखाने के लिए आयोजित किए जाते हैं, संविधान में जिस परम उद्देश्य से इस भाषा को मर्यादित किया गया है, वह उद्देश्य वर्तमान में प्राप्त नहीं हो सका । अत: सरकारी, गैर सरकारी कार्यालयों में हिन्दी भाषा में सभी कामकाज करने से ही हिन्दी दिवस प्रायोगिक रूप में सफल सिद्ध होगा ।
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